Friday 28 November 2014

मसीहा --सुधीर मौर्य


देख लडकी
आंऊगां मै हाथी घोडे लेकर
तेरी महफिल मे
उतार दूंगा 
अपनी रूह पे रखे 
तेरे झूठ के बोझ को
बता दूंगा सरेशाम
मैने जलाये थे 
प्रेम के दिये
ताकि हँसती रहे 
तूं जीवन भर
तूने बुझा वो दिये
अपनी मुकम्मल हँसी के बाद
और टॉग दिया सूली पे
अपने ही मसीहा को
तझे मालुम तो होगा लडकी !
चलन है लौट कर 
मसीहा के आने का.
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सुधीर मौर्य


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